आप अकसर पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क का नाम सुनते रहते हैं। इन शब्दों के स्पष्ट अर्थ को लेकर बहुत से लोग असमंजस में रहते हैं। दरअसल ये तीनों बौद्धिक संपदा अधिकार (इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट) के तहत आते हैं। यहां जानते हैं इनके बारे में।
पेटेंट
पेटेंट ïïïïïïवह व्यवस्था है जिसके तहत किसी भी नई खोज से बनने वाले उत्पाद पर एकाधिकार दिया जाता है। यह अधिकार खोज करने वाले व्यक्ति को सरकार द्वारा दिया जाता है। इसके बाद एक निश्चित समय तक न तो कोई उस उत्पाद को बना सकता है और न ही बेच सकता है। अगर बनाना चाहे, तो उसे लाइसेंस लेना पड़ेगा और रॉयल्टी देनी होगी। विश्व व्यापार संगठन ने पेटेंट की अवधि बीस साल तय कर रखी है। पेटेंट हासिल करने वाला व्यक्ति अपना यह अधिकार बेच या ट्रांसफर कर सकता है। इसके अलावा प्रोसेस पेटेंट भी होता है, जिसका संबंध नई तकनीक या किसी उत्पाद को बनाने वाली विधि से है। मतलब किसी नई विधि पर भी पेटेंट लिया जा सकता है। लेकिन पेटेंट का ये आदेश जिस देश में जारी किया जाता है, उसकी सीमाओं के भीतर ही उसे लागू माना जाता है। मगर, टीआरआईपीएस, पेंटेंट सहयोग संधि (पीसीटी) और सब्सटेंसिव पेंटेंट लॉ ट्रीटी जैसे कई बहुपक्षीय समझौतों के विस्तार के साथ पेंटेंट व्यवस्था वैश्विक रूप लेती जा रही है।
कॉपीराइट
यह भी बौद्धिक संपदा अधिकार का ही एक रूप है, लेकिन कई मायनों में पेटेंट से अलग है। कॉपीराइट किसी मौलिक लेखन, संगीत, कलाकृति, डिजाइन, फिल्म या तस्वीरों के लिए होता है। भारतवर्ष में कॉपीराइट को लेकर कॉपीराइट एक्ट - १९५७ है। यह अधिकार किसी को हस्तांतरित किया जा सकता है। जैसे किसी फिल्म के रीमेक का अधिकार प्राप्त करना होता है या किसी और की धुन या गीत का इस्तेमाल करना होता है, तो उसके लिए भी अनुमति की जरूरत होती है। कॉपीराइट एक निश्चित समय के लिए मान्य होता है जिसके बाद उस कृति को सार्वजनिक मान लिया जाता है। किसी व्यक्ति की कृति को 'नैतिक अधिकारÓ के तौर पर कुछ कानूनी मान्यता भी हासिल है। मसलन किसी व्यक्ति की कृति का इस्तेमाल करने पर उसे इसके लिए श्रेय दिया जाना चाहिए। हाल ही में फिल्म 'थ्री इडियटÓ को चेतन भगत की किताब पर आधारित माना जा रहा था और जिसके लिए फिल्म में कोई श्रेय नहीं दिया गया था। लिहाजा चेतन भगत और फिल्म निर्माता के बीच कुछ अनबन देखने को मिली थी।
ट्रेडमार्क
ट्रेडमार्क भी एक तरीके से बौद्धिक संपदा अधिकार होता है जिसका इस्तेमाल कोई कंपनी या उत्पादक अपने उत्पाद को दूसरों से अलग बताने के लिए करता है। किसी वस्तु पर मौजूद ट्रेडमार्क से जाहिर होता है कि यह किसी विशेष कंपनी की ओर से बनाया जा रहा है। ट्रेडमार्क का प्रयोग कोई व्यक्ति, व्यावसायिक संगठन या कानूनी इकाई अपने उत्पाद या सेवा के लिए करती है। आमतौर पर किसी नाम, वाक्य, लोगो, विशेष चिह्नï, डिजाइन या चित्र को ट्रेडमार्क बनाया जाता है। कंपनी विशेष के सभी उत्पादों पर उसका ट्रेडमार्क लगा होता है। कानूनी संस्था आईएसआई मार्क, आईएसओ मार्क, खाद्य उत्पादों में शाकाहारी और मांसाहारी उत्पादों की पहचान के लिए हरे और लाल निशान (ट्रेडमार्क) का इस्तेमाल करती है। ट्रेडमार्क पंजीकृत और गैर-पंजीकृत दोनों तरह के होते हैं।
Saturday, August 14, 2010
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उम्दा जानकारी
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