Saturday, August 14, 2010

रिमोट सेंसिंग उपग्रह

हाल ही में इसरो ने कार्टोसेट नामक रिमोट सेंसिंग उपग्रह को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया। यहां जानते हैं रिमोट सेंसिंग और ये सेवाएं देने वाले उपग्रहों के बारे में।

रिमोट सेंसिंग और रिमोट सेंसिंग उपग्रह
रिमोट सेंसिंग यानी दूरसंवेदी वह तकनीक है, जिसके जरिये किसी वायरलैस उपकरण (रियल टाइम सेंसिंग डिवाइस) से कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाई जाती हैं। रिमोट सेंसिंग उपग्रह भी ऐसे ही उपकरण की तरह होते हैं। इन उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर धरती के प्राकृतिक संसाधनों की जानकारी व आंकड़े इकट्ठे किए जाते हैं।

भारतीय रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट्स
भारत में इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) द्वारा इंडियन रिमोट सेंसिंग सेटलाइट्स सिस्टम (भारतीय दूरसंवेदी उपग्रह प्रणाली) का विकास किया गया है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी की निरीक्षण करना है। ये उपग्रह अंतरिक्ष में जाकर भारत को रिमोट सेंसिंग सेवाएं देते हैं।

भारतीय रिमोट सेंसिंग सिस्टम
भास्कर-१ (१९७९) और भास्कर-२ (१९८१) में सफल उड़ान के बाद भारत ने कृषि, जल संसाधन, वन, मतस्य पालन और तट आदि संबंधी क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था के तीव्र विकास के लिए इंडियन रिमोट सेंसिंग (आईआरएस) सेटलाइट प्रोग्राम शुरू किया। इस मकसद से भारत सरकार ने नेशनल नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम बनाया। भारत सरकार का अंतरिक्ष विभाग इसे रिमोट सेंसिंग से जुड़ी सेवाएं मुहैया कराता है। असैनिक उद्देश्यों के लिए काम कर रहे विश्व के विभिन्न रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट सिस्टम्स में आईआरएस सबसे बड़ा है।

क्या करते हैं ये उपग्रह
इसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी, जल, समुद्र, वन आदि प्राकृतिक संसाधनों का सर्वेक्षण व निगरानी करना है। मछली पालन, बाढ़ या सूखे जैसी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं की चेतावनी, फसलों के क्षेत्रफल व उत्पादन का आंकलन, खनिज संसाधनों का सर्वेक्षण आदि किसी स्थान पर निरंतर हो रहे बदलावों संबंधी सूचनाएं देते रहना इन्हीं का कार्य है। इन उपग्रहों में शक्तिशाली इलेक्ट्रॉनिक कैमरे लगे होते हैं। इन कैमरों से धरातल स्थित वस्तुओं का चित्र लिया जाता है फिर इन चित्रों का विश्लेष्ण कर आवश्यक जानकारी प्राप्त की जाती है।

कोर्टोसेट-२ बी
चार चरण वाले और ४४.४ मीटर लंबे प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी- १५ ने हाल ही में रिमोट सेंसिग उपग्रह कार्टोसेट-२ बी को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। इसके साथ अन्य चार उपग्रहों को भी प्रक्षेपित किया गया। कोर्टोसेट-२ बी भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह शृंखला का १७ वां उपग्रह है। इससे पहले कार्टोसेट-२ और २ ए नाम के भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह भी अंतरिक्ष में हैं जो इसी प्रकार की सेवाएं दे रहे हैं। कार्टोसेट-२ बी में पैन्क्रोमेटिक कैमरा लगा है जिसमें ९.६ किलोमीटर की पट्टी को इमैजिंग करने की क्षमता है। इस कैमरे द्वारा भेजी गई तस्वीरें गांवों का अनुमान लगाने, नक्शा बनाने, शहरी आधारभूत ढांचे और यातायात प्रणाली की योजना बनाने में बहुत मदद मिलेगी।

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