कभी कभी बेेफकूफी लालचीपन पर भारी पड़ जाती है। शायद इसीलिए कि बेफकूफी में थोड़ी इमानदारी छिपी होती है। करीब तीन साल पहले की बात है। गर्मियों की छुटिटयों में मैं जोगिंग करने पार्क जाया करता था। पार्क मेरे घर से ढाई किलोमीटर दूर है, तो स्कूटर पर जाया करता था। एक दिन जब पार्क से बाहर निकला तो देखा मेरा स्कूटर गायब है। आस पास की जगह खंगाल ली लेकिन नहीं मिला। स्कूटर पार्क करते वक्त मैं अपना पर्स डिक्की में रख दिया करता था क्योंकि पर्स जेब में रखकर भागने में काई दिक्कत आती थी। पर्स में ऑरिजनल लाइसेंस, एटीएम कार्ड, कॉलेज और लाइब्रेरी कार्ड थे। स्कूटर तो गया सो गया, साथ में जरूरी चीजे भी गईं। दिल बैचेन और दुखी हो उठा था, क्योंकि पास के थाने में गया एफआई लिखवाने।
मुझे पता था ये लोग एफआईआर लिखने में आनाकानी करेंगे इसलिए मैंने जुगाड़ लगवाकर एफआईआर दर्ज करवा ही दी। जुगाड़ तगड़ा था इसीलिए आस पास की पीसीआर और थानों में खबर कर दी गई। ठीक एक घंटे बाद मेरे मोबाइल पर फोन आया और एक शख्स बोला कि हम प्रशांत विहार थाने से बोल रहे, हमने आपका स्कूटर चोरी करने वाले को पकड़ लिया है। इसे हमने एक एटीएम के अंदर पकड़ा है। वो बोले आप अपना पिन न. बताइए इससे पुष्टि हो जाएगी कि ये एटीएम कार्ड आपका ही है और ये लोग धोखाधड़ी से एटीएम से पैसे निकाल रहे हैं। मैं असमंजस में पड़ गया और आनन-फानन में वो गुप्त न. बता दिया। बताने की एक वजह यह भी थी कि मैं अकसर अपने एटीएम ज्यादा सीरियस नहीं रहता था क्योंकि उसमें कभी ३०० रुपये से ज्यादा पैसे नहीं रहे थे। लेकिन मैं जानता हूं मुझे बताना नहीं चाहिए था लेकिन वो कहावत है न 'विनाश काले विपरीत बुद्घिÓ। न. सुनते ही उन्होंने बोला आप उसी पार्क में पहुंचिए हम आपका स्कूटर लेकर आते हैं। लेकिन दो घंटे तक कुछ न हुआ। मैं समझ गया मुझे ठगा गया है।
तभी दिमाग में एक तरकीब आई और मेरी बेवकूफी से चोरों की शामत आ गई। बैंक से पता लगवाया कि लास्ट ट्रांजेक्शन किस एटीएम से हुई है और कितनी हुई है। पता लगा कि पैसे रोहिणी के किसी बैंक से निकाले गए हैं। रोहिणी गया और पुलिस की मदद से उस एटीएम में लगे कैमरे की फुटेज निकलवाई। मैं उन लोगों को पहचान गया। वो पार्क के नजदीक झुग्गियों में रहते थे। चोर पकड़े गए। और मुझे पैसों को छोड़कर खोया हुआ सब वापिस मिल गया।
Saturday, May 8, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment