Tuesday, January 6, 2009

मैं और 1 जनवरी 2009


बिस्तर से उठते ही भगवन को प्रणाम किया और सोचा की आज की शुरुआत कुछ अलग करके की जाए । माता पिता के पैर छुए तो उन्हें लगा की यह वर्ष वाकई में इसके लिए एक नव वर्ष है और इस बार इसने कुछ कर गुजरने की सोच ली है।


रोज की तरह दूध लेने के लिए जैसे ही घर से निकला तभी जोर से एक आवाज़ आई ' हैप्पी न्यू इयर भैय्या' ! एक युवक हाथ बढ़ाये मेरे सामने खड़ा था। यह युवक मेरा पड़ोसी था जो कि आर्थिक मंदी कि मार झेल रहा था। वह बेरोजगार था और उसकी दाढ़ी बड़ी हुई थी। उसके 'हैप्पी न्यू इयर' से मैं असमंजस में पड़ गया कि इसे मैं अपशगुन मानू या आशावादी प्रवृति का सशक्तिकरण मानू। मैंने बनावटी हसी के साथ हाथ मिलाया और कह दिया 'हैप्पी न्यू इयर' !



कुछ दिन पहले ही आज के लिए एक जिम्मेदारी मेरे पल्ले बाँध दी गई थी कि मुझे अपनी बहन को छोड़ने अलवर जाना है और उसी दिन वापस भी आना है। और इस तरह नए साल का पहला दिन का मेरा अधिकांश समय ट्रेन में सफर करते बीता।


जब ट्रेन में अखबार का वह पेज पढ़ रहा था, जिसमे भारत का 2009 में विकास की संभावनाओ पर विशेष आया था, तो मेरी नज़र खिड़की की बहार लहरा रहे हरे भरे खेतो पर पड़ी। यह जगह खैरतल थी। इन हरे भरे खेतोंपर पड़ती शीतल धूप बहुत सुंदर लग रही थी। तभी मेरे पास टीटी आया और टिकेट मांगने लगा। मेरे पास सामान्य डिब्बे का टिकेट था लेकिन में स्लीपर में बैठा था। इसलिए मैंने टिकेट के साथ 100 रुपये का नोट भी चार्ज के रूप में उसे दे दिया। मेरे और मेरी बहन के कुल 80 रूपये लगने थे। जब मैंने उससे 20 रूपये वापिस देने और रसीद देने के लिए कहा तो उसने कहा - "इतने ही लगते है"। मेरा स्टेशन आने वाला था इसलिए मैंने लालू के उस भ्रष्ट दूत से बहस करना उचित नही समझा। और सामान गेट की ओर ले गया।


दिल्ली वापसी के लिए जब स्टेशन पर पंहुचा तो मैं खुश हो गया। आदत से मजबूर मैं 10 मिनट लेट था लेकिन ट्रेन 40 मिनट लेट थी। तभी मुझे उस लेडी का वो कथन याद आया जो उसने मुझसे रेल के लेट होने से खिन्न होकर कहा था - " व्हेन विल इंडिया इमप्रोवे इत्सेल्फ़" ।


ये लेडी मरीशिउस की थी और मुझे 28 मार्च 2008 को ट्रेन में उस वक्त मिली थी जब मैं भारतीय सेना में शामिल होने की लिए एस एस बी इंटरव्यू दने जा रहा था। खुश होते होते मैंने अपने मन में कहा - "व्हेन विल आई इम्प्रूव मायसेल्फ। ट्रेन आई और इस बार भी सामान्य डिब्बे की जगह स्लीपर में बैठ गया।


'चाय चाय', 'वेज कटलेट', 'चना मसाला', 'काफी काफी' की आवाज़ बार बार मेरी नींद तोड़ रही थी। अचानक मैंने महसूस किया की मेरा पाव को कोई छू रहा है। अध् -नग्न हालत (केवल फटी पैंट में) घुटनों के बल रेंगता यह युवक ट्रेन की डिब्बे के फर्श पर से अपनी शर्ट से कूड़ा साफ कर रहा था। वह सामने हाथ फैलाने लगा। मैंने जब उसकी उपेक्षा की तो उसने मेरा जूता पकड़कर अपने माथे के लगा लिया। मैंने निर्दयी होकर जूता छुडाया और थोडी दूर जाकर खड़ा हो गया। वह जिस की भाव भंगिमा बना रहा था मुझे लग गया था की वह गूंगा - बहरा है। वह अगले कम्पार्टमेंट में गया तो एक बुदी काकी उस पर चिल्ला कर बोली - " अरे कमबख्त कितनी बार लेगा, अभी तो दिया था"!


जब वह ठण्ड से ठिठुरता अध् - नग्न आदमी पास बैठी एक फैशनेबल जवान शहरी लेडी की पास गया तो उस लेडी ने उसे देख अपने शाल से अपनी नाक डाक ली और उसकी आँखों में दया की जगह घृणा का भाव पैदा हो गया। तभी डिब्बे में कुछ हिजडे आए और फटाफट सभी से 10-10 और 20-20 रूपये वसूल कर चलते बने। मैं इस बार भी अपवाद और क्रूर बना रहा। दिल्ली स्टेशन आने वाला था तो मैं दरवाजे पर आ गया। वहां बैठे उसी अध् - नग्न व्यक्ति ने मुझसे बोला भाईसाहब स्टेशन उस तरफ़ नही इस तरफ़ आयेगा! स्टेशन आया और ट्रेन से उतर कर मैंने 1 जनवरी 2010 की ओर कदम बढ़ा दिया।

15 comments:

अभिषेक मिश्र said...

नए साल में भारत की सही छवि देख ही ली आपने. हमने देश को अपने हिसाब से ढाल लिया है और उससे संतुष्ट भी हैं, तब तक जबतक की कोई उसी TT की तरह व्यक्तिगत परेशानी न हो.

Journalist said...

welcome in the world of bloggers

श्यामल सुमन said...

हकीकत को देखने का आपका नजरिया पसन्द आया।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

bijnior district said...

हिंदी लिखाड़ियों की दुनिया में आपका स्वागत। अच्छा लिखे। खूब लिखे। बहुत सारी शुभकामनांए।

bijnior district said...
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Pratik Maheshwari said...
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Pratik Maheshwari said...

काफ़ी अच्छा लगा आपका पोस्ट पढ़कर..
नए साल की शुभकामनाएं..
मेरे ख्याल से अब समय कुछ करने का है बजाए इसके की हम सब केवल आस-पास की दिक्कतों को ही लिखते रहें...
अब समय है इन सभी प्रश्नों के उत्तर ढूँढने का..
-शुभकामनाएं

Unknown said...

kaafi accha laga padh kar..aise hi likhte rahe...

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

मेरे मित्र
अभिवंदन
आप द्वारा लिखित बातो ने मेरे दिल को छु लिया। अति सुन्दर॥॥॥।
मेरे ब्लोग को देखे।

जय हिन्द।

HEY PRABHU YEH TERA PATH
http://ombhiksu-ctup.blogspot.com/
ctup.bhikshu@gmail.com

Meher Nutrition said...

Very happy New Year to You. May Avatar Meher Baba Bless You
Lots of Love
Dr. Chandrajiit Singh
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ज्योत्स्ना पाण्डेय said...

ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है!
मेरी शुभकामनाएं!
मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.

Prakash Badal said...

भाई साहब मुझे लगता है कि आप को कोई ग़लती हुई है, आप 1 जनवरी 2010 में नहीं 1 जनवरी 2009 में प्रवेश किये होंगे। लेकिन आपने एक बात अवश्य अहसास करा दी कि हमारा देश नपुंसकों के आगे तो कुछ भी देने को तैयार हो जाता है लेकिन एक गूंगे बहरे पर तरस किसी को नहीं आता। आपका स्वागत है। आशा है आपके लेख मिलते रहेंगे।

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

Unknown said...

wahh ji waah isse achhi sundar shruaat navvarsh ki ho hi nahi sakti........!! likhte raho....


Jai Ho magalmay ho

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

narayan narayan