Wednesday, November 19, 2008

आख़िर कहा कमी है?



भारत के वंचित, उपेक्षित वर्ग कामना करने लगे है कि जिस तरह अश्वेत ओबामा ने सत्ता हासिल की उसी तरह वे भी भारत की सत्ता तक पहुचेंगे। लेकिन भारत और अमिरिका की समाज में जमीं आसमान का अन्तर है। आख़िर क्या फर्क है, हमारे और उनके मुख्या राजनेताओ में। ओबामा और मक्गैन जहाँ अपनी बात को कहने की लिए और मुश्किलें से मुश्किल सवाल का अच्छा से अच्छा उत्तर देने के लिए हमेशा मिडिया से बात करने के अवसर पाने की ताक में रहते है और उसकी तलाश करते है वहीदूसरी और हमारे नेता अपने आप को मडिया से बचते फिरते है और उसकी उपेक्षा करते है उनके व्यवहार से ऐसा महसूस होता है की उनके पा छपने के लिए बहुत कुछ है।


एक राज्यनेता को हिलकर लोगो से समस्याओ के बरी में बात करना चाहिए और उन समस्याओ स लड़ने के तर्कों को जनता के बीच रखना चाहिए। अगर कोई राजनेता बड़ी आसानी से और प्रभावी होकर मीडिया का सामना करता है तो वह जनता के बीच अपनी जगह बनने में सफल होता है परन्तु जो राजनेता मीडिया से बचता फइर्ता है तो उसे मिदा और जनता की आलोचनाओ विरोध और और शक के दायरे में आ जाता है।


वह के नेताओ ने अपने चुनावी अभियान के जरिये श्वेत-अश्वेत के फर्क को कम किया। यदि हम सत्ता के सर्वोच पदों के अकंशी भारतीय राजनेताओ को देखे तो समाज को खाचो में विभाजित करते नज़र आयेगे। हमारे राजनेताओ को अंधिकांश समयअपनी कुर्सी बचने को अलग अलग हिस्सों में बाँट कर उसका घ्रुविकर्ण करनी में निकल जाता है।



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