
ओबामा की जीत ने साबित कर दिया है कि हमारा लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र जरूर हो सकता है लेकिन अमेरिका का लोकतंत्र सर्वश्रेष्ट लोकतंत्र है। ओबामा की जीत वंशवाद के ऊपर लोकतंत्र की जीत है। भारतीय राजनीति में जिस तरह गाँधी वंशवाद नज़र आया उसी तरह अमेरिका की राजनीति में भी हुआ और क्लिंटन वंशवाद नज़र आया। लेकिन ओबामा की जीत ने इस प्रवृति पर रोक लगा दी।ओबामा की जीत से अब लगता है की भारत में मायावती भी प्रधानमंत्री बन सकती है अब विभिन्न उपेक्षित समुदायों, वर्गों, और स्थानीय पार्टियों में उत्साह आ गया है और वे भी ओबामा की तरह चेंज का अभियान छेड़ना चाहेगे।
भारत में पिछले १० सालो में यही देखने में आया है की कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान और वंश के आधार पर वोट खीचना चाहता है वह इस के आधार पर वोट नही मांगता है की उसने क्या किया है। बल्कि इसके आधार पर मांगता है की वह अमुक परिवार में पैदा हुआ। वे यहाँ कहते है की हिंदू, यादव, जात या दलित हु। बदले में दलित भी मायावती को इसलिए नही देंगे की उसने कितना काम किया है। या बल्कि इसलिए देंगे की वह दलित है।
मुलायम सिंह को भी पिछडो के वोट इसलिए मिलेंगे की वे भी इनमे से ही आते है।बीजेपी आतंकवाद को इसलिए मुद्दा नही बनाती की वह बहुत गंभीर समस्या है बल्कि इसलिए बनाती है इससे हिन्दुओ के अन्दर मुस्लिम विरोधी भावना भड़के। मुस्लिम नेता मुस्लिमो की उपेक्षा की बात करने लगते है।लेकिन ओबामा की जीत,पहचान या जाती पर नही टिकी है। ओबामा जन्म से कोई अश्वेत अमिरिका नही था। उसके पिता केन्यन थे और माता श्वेत अमेरिकी थी पिता की मृत्यु के बाद ओबामा को उसके उसके दादा -दादी अपने साथ ले आए। ओबामा की शादी एक अश्वेत अमेरिकी से हुई और शादी के बाद ही उन्होंने एक अश्वेत अमेरिकी होने की शक्सिअत अख्तियार की।
ओबामा ने मायावती, मुलायम, बल ठाकरे की तरह चुनाव की लडाई नही लड़ी। एक अश्वेत की तरह नही बल्कि एक अमेरिकन की तरह चुनाव लड़ा। हम तो यह सोच भी नही सकते की मायावती चुनाव अभियान के दोरान दलितों को लालच wale वादे नही करेंगी या ठाकरे महाराष्ट्री अस्मिता की बात नही करेगे। मुस्लिम नेता इस्लाम के अस्तित्व को खतरा होने की बात नही करेगे। जबकि ओबामा ने अपने अभियान में ओ अश्वेत लोगो की इस तरह चापलूसी नही की उन्होंने तो एक अमिरिकान्म की तरह चुनाव लादे और अमेरिका में चंगे का नारा लगातर लगते विश्व्यापी चंगे कर दिया।